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ज़िन्दगी रात भर है
इक मुलाक़ात भर है।
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प्यार के मौसम की
हिज्रे सौग़ात भर है।
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अस्ल तो दिन न रहे
बस ख़यालात भर है।
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रात अब जुगनू की
कोई बारात भर है।
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चाहिए रुपया-पैसा
पास जज़्बात भर है।
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गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क।
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