🔥 | प्रतिरोध
कुछ कवि के पास
बड़े आराम से आती है कविता !
जैसे इंडिया इन्टरनेशनल सेन्टर,
इंडिया हैबिटैट और विशाल
सम्भ्रांत होटलों के पोर्टिकों में
आकर लगती है
मिलने आये उनके दोस्तों की
दामी मोटर गाड़ी। तीव्र वेग से छलकता है कविताओं में
दीन हीन शोषित वंचित जन की
यातना- कथाओं का दर्द !
बड़ी सहजता से आ मिलता है
उनकी कविता में प्रकृतिस्थ
प्रामाणिक यथार्थ
अगले दिन विमर्श के केन्द्र में पहुँच
जाता है इत्मीनान से।
उठे हुए हाथ के तीखे तेवरों की
फ़ोटो सहित अख़बार और चैनेलों
में छा जाता है उनके प्रतिरोध का
प्रारूप।
गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क।
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