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बहुत जो लोग महरूमे वफ़ा हैं...
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मुहब्बत भर मुहब्बत कीजिएगा।
ज़रूरत भर मुरव्वत कीजिएगा।
कोई जिनिस नहीं कि जमा कर लें
थोक में कर न आफ़त कीजिएगा।
बहुत से लोग महरूमे वफ़ा हैं
जाइए तो वसीयत कीजिएगा।
बहुत कुछ है अभी दरकारे दुनिया
एक ये भी शरीअत* कीजिएगा।
इश्क़ कंजूस भी कोई नहीं है
तबीयत से मुहब्बत कीजिएगा।
किसी को दें अगर कुछ भी कभी जो
तवक़्को फिर कभी मत कीजिएगा।
यहाँ मायूस क्यों हैं लोग इतने
जानिए जो मुहब्बत कीजिएगा।
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गंगेश गुंजन, #उचितवक्ताडेस्क।
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