Wednesday, July 28, 2021

मतला और शे-एर


    किसी मतले पे सो गया हूँ मैं
    ग़ज़ल ग़ालिब की हो गया हूँ मैं।
 
    हाल बेहाल मैं यों ही  नहीं हूँ
    बहुत हैवान सदी ढो रहा हूँ मैं।
                   गंगेश गुंजन
              #उचितवक्ताडेस्क।

No comments:

Post a Comment