मनुष्य के आंँसू और मुस्कान अंतर्राष्ट्रीय भाषा हैं। करुणा और आनन्द इसका व्याकरण हैं। इसकी लिपि सृष्टि ने स्वयं गढ़ी। |🌍| गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
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