शे-एर
छलनी होता रहे ख़ार से जिस्म मगर उफ भी न करे।अपने अहसासों से हमको ये भी ख़ूब तवक़्को है।
गंगेश गुंजन।०९.१०.'२०.पारस टि-८.
#उचितवक्ताडेस्क।
No comments:
Post a Comment