Saturday, December 19, 2020

हम भी दौड़ गये मंज़िल तक

दिल पर ग़म का बोझ बढ़ा औ' भारी हुआ जिस्म को जब।
हम भी दौड़ गये मंजिल तक तलबों में लेकर उनको।
                   गंगेश गुंजन
               #उचितवक्ताडेस्क।

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