बाबा से गुनाह हुआ यह ?
⚡
अगर कीर्त्ति का फल चखना है
कलाकार ने फिर-फिर सोचा,
…….
आलोचक को ख़ुश रखना है।
- नागार्जुन, ! 🙏!
वर्तमान में महज़ एक काव्य-विनोद भर लगता हुआ यह पद,भविष्य में कभी कवि -नागार्जुन का,गुनाह तो नहीं दर्ज़ होगा ?
-गंगेश गुंजन
[उचितवक्ता डेस्क]
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