ज्ञान आता अवश्य है मनुष्य की इच्छा-उत्सुकता की गोद में लेकिन पलता है उसके साहस की पीठ रीढ़-पर।
गंगेश गुंजन
[उचितवक्ता डेस्क]
No comments:
Post a Comment