Sunday, May 10, 2020

मां और पेड़

                   🌳🌳

बड़ा है वृक्ष !

कड़कती लू-धूप में झुलसता हुआ

खड़ा रहता है। 

बटोही को शीतल छाँव देता रहता है।  

बड़ा है वृक्ष ! 

यह विशाल वृक्ष,अपनी 

छाया से उठ कर जाते हुए उसी राहगीर को 

साथ ले जाने/ थोड़ी छाँह भी दे देता है

अपनी क्या ? 

दे ही देती है ग़रीब से ग़रीब माँ, 

सफ़र में निकलते समय बेटे की थैली में

रास्ते के लिए बटखर्चा-रोटी, जैसे।

                   गंगेश गुंजन

               [उचितवक्ता डेस्क]

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