Thursday, May 4, 2023

कालगति और लोग

कुछ लोग कहते-कहते मर जाते हैं।

कुछ लोग सुनते-सुनते मर जाते हैं।

कुछ लोग करते-करते मर जाते हैं।

कुछ लोग  रहते-रहते  मर जाते हैं।

कुछ लोग सहते-सहते मर जाते हैं।


ये सब समाज और मनुष्यमात्र की जीवन- दशा बदलने की नीयत और विचार से संकल्प स्वर में भाषा-साहित्यों में ही अधिक होते हैं।

आज भी दिन भर कुछ लोग                                     पढ़ते-पढ़ते सो जाएंँगे ।      अपने-अपने इतिहास का गह्वर हो जाएँगे।

                ५ मई,२०२३.                               गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क।

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