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कोहिनूर हो गया ..
अपने इस जर्जर तन के वासन
में मैं,
इस तरह रहता हूंँ जैसे,
संसार के विशाल भव्य विशाल
अभिलेखागार में रहता है
सुरक्षित-
कोहिनूर।
कविता से लेकर,विचार,आदर्श
और राजनीतिक दर्शन के जीवन
यथार्थ को परख,भोग-भाग कर
ही नतीजे पर पहुँचा कि रहूँ इसी
रूप में अब मैं
कोहिनूर होकर रहूँ। ⚡
#उचितवक्ताडेस्क। गंगेश गुंजन
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