|🔥|
किसी सियासत का हारा है
किसी जम्हूरियत का मारा है।
इश्क़ में सब फ़रेब चलता है
उसे तो और जो कुंँआरा है।
जायज़ मुहीम पर भी सख़्ती
सल्तनत का सब इज़ारा है।
बड़े मज़े में हैं मार्केट-मॉल
रहे जिनका, क्या हमारा है।
रहा इस मंज़र में अब क्या
गांँधी को भी कठघरा है।
बचा है हौसला गुंजन का
नहीं थका अभी न हारा है।
🌱🌱
#उचितवक्ताडेस्क।
गंगेश गुंजन
No comments:
Post a Comment