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कहिए कुछ आसान ग़ज़ल हर इक दिल की जान ग़ज़ल।
एकेक मन की परछाईं। बोले ऐसी प्रान ग़ज़ल ।
सब रोते अपना - अपनी हो सबकी मुस्कान ग़ज़ल ।
गांव नगर भर आंगन हो भटके मत सुनसान गजल ।
झिलमिल जनमन स्वच्छ सपन ऐसी गंगास्नान ग़ज़ल।
एक आदम क़द गूंजे गीत इक सामूहिक गान ग़ज़ल।
दु:ख में गर रो पड़े कभी धो दे सकल जहान ग़ज़ल।
शब्द जो रस्ता दिखलाएं उसकी हो पहचान ग़ज़ल।
आकांक्षा हो जन-जन की कविता का अभिमान ग़ज़ल।
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गंगेश गुंजन
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