Friday, September 20, 2024

दो पँतिया :

कोई ये आख़िरी नहीं है ग़म क्या कीजै
बचा है इश्क़ तो जनाज़े भी और उठेंगे।

                  गंगेश गुंजन 
            #उचितवक्ताडेस्क।

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