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दिल ऐसा कुछ अफ़साना लिख
सुख हर शख़्स के सिरहाना लिख।
बँटे हुए दु:ख के भी इलाक़े
सबको कुछ-कुछ वीराना लिख।
ख़ुदा गवाही से बढ़ कर के
रूह दिखा दे खुल जाना लिख।
मिले हुए हो गए बहुत दिन
'कल रेस्त्राँ में आ जाना' लिख।
गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क.
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