Sunday, February 18, 2024

फेसबुक पर लोग सब

     📕🌿      फेसबुक पर लोग सब !
फेसबुक पर कुछ लोग छींकते हैं
कुछ लोग खाँसते हैं
कुछ लोग हँसते हैं
कुछ लोग बोलते हैं
कुछ लोग चीख़ते हैं
कुछ लोग गाते हैं।
कुछ रोते-कलपते हैं
कुछ लिखते-पढ़ते हैं
कुछ लोग अपना स्वास्थ्य बुलेटिन होते हैं तो कुछ लोग अपनी उपलब्धियों का कैलेन्डर होते हैं।
कुछ लोग अपना सफ़रनामा पढ़वाते हैं,
कुछ अपनी दिनचर्या बतलाते हैं
कुछ लोग अपनी-अपनी राजनीतिक पार्टियों का नगाड़ा बजाते हैं
कुछ कथित तथाकथित परिवर्तन के नारे लगाते हैं।
कुछ किन्हीं का स्तवन लिखते हैं
कुछ उनकी भर्त्सना करते हैं
कुछ उपदेश देते हैं
कुछ उपदेश लेते हैं
फेसबुक पर कुछ लोग वैद्य भी होते हैं
वैसे ही कुछ लोग हकीम होते हैं,जैसे कुछ लोग बड़े-छोटे अस्पतालों के डाक्टर होते हैं।
कुछ लोग विशेषज्ञ होते हैं
कुछ विशेषज्ञों के भी विशेषज्ञ होते हैं।
कुछ लोग सहानुभूति-भिक्षुक होते हैं
कुछ लोग शुभाकाँक्षा के थोक वितरक होते हैं
फेसबुक पर कुछ लोग लेखक-कवि होते हैं
कुछ लोग, कवि-लेखक होने वाले होते हैं

फेसबुक पर सब लोग इतने अपने होते हैं कि सबलोग सबलोग की दैनिक बाट जोहते हैं।
फेसबुक पर कुछ लोग गांँव कुछ नगर होते हैं
कुछ दालान और नगरों के ड्राइंग रूमों में अकेले बैठे बुजुर्ग से खाँसते बोलते हैं
वे कुछ लोग बुरे मौसम में बच्च़ों को घर से बाहर नहीं निकलने की हिदायत देते रहते हैं।
फेसबुक पर जवान होते हुए किशोर उनसे चिढ़ते रहते हैं।
और तो और,कुछ लोग इस पर कुछ भी लिखे हुए को कविता ही समझ लेते हैं।

फेसबुक पर कुछ लोग इतना अच्छा लिखते हैं कि वह अच्छा कुछ लोग,दिल से पढ़ते हैं।
कुछ लोग तो इतना सुन्दर लिखते हैं कि कुछ लोग उनके लिखने का                   इन्तज़ार करते रहते हैं।                                               ।📕।

                  गंगेश गुंजन                                    #उचितवक्ताडेस्क।

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