Thursday, February 8, 2024

दिल्ली पुस्तक मेला १०-१८.२.'२४.

पुस्तक मेला

    (१०फरवरीसे१८फरवरी-’२४ई.)

आगामी विश्व पुस्तक मेला,कवि-लेखकों की आने वाली पुस्तकों और प्रकाशनों पर( की खुशामद करती हुई सी)दनादन फेसबुक प्रदर्शित टिप्पणियांँ की बारिश में भीगते पढ़ते हुए मुझे तो लगता है बहुत से लेखकों को पुस्तक मेला जाने में भारी र्अहिचकिचाहट भी होगी। जिन लेखक कवियों की कोई भी पुस्तक, किसी भी प्रकाशन के किसी भी स्टॉल पर प्रदर्शित नहीं दिखने वाली है वे अपनी निरीहता तुच्छता की ग्रंथि से पीड़ित भी हो सकते हैं। जब उनकी किताब ही नहीं छपी है तो वे कहाँ के लेखक,कैसा प्रकाशन और किन महाभागों के कर कमलों से भव्य विमोचन ?उसके समाचार ! सो मुझे तो ज़बरदस्त आशंका है कि इस संकोच और ग्रंथि में बहुत सारे लेखक कवि कहीं पुस्तक मेला जाने से ही न परहेज़ कर लें।

  विज्ञापन विस्फोट का यह परिदृश्य इस दफ़े कुछ और नया है। इधर हर बार यह प्रवृत्ति कुछ और बढ़-चढ़ कर विस्तार से बाजार होती और करती हुई दिखाई देती है। 

     बहरहाल मैं तो जाऊँगा क्योंकि आजतक किसी पुस्तक मेले के मौक़े पर मेरी कोई पुस्तक छप कर आयी ही नहीं। 

मुझे तो उसका स्वाद भी पता नहीं है।😆।

   लेकिन जाऊंँगा ही इसका इससे भी बड़ा और कारण है। वह यह है कि एक समय में एक स्थान पर इकट्ठे इतनी गुणवत्ता,संख्या और मात्रा में पुस्तकें और अध्ययन अध्यापन संबंधी सामग्रीकोसद्य: देख पाना क्या सबको नसीब हो जाता है ? कितने भी प्राचीन और बड़े पुस्तकालय में चले जायें तो भी ?

  तो अगर ऐसा अवसर आ रहा है तो उसे कैसे ज़ाया कैसे होने दूंँगा। इतनी पुस्तकें एक साथ देखकर आंँखों को बहुत दिनों के लिए तृप्ति और राहत मिल जाती है।

     और वे वरिष्ठ-कनिष्ठ आत्मीय प्रिय साहित्यकार साथी जिनसे,एक ही शहर में रहते हुए भी कितने कितने दिनों तक नहीं मिल पाते उनसे भी भेंट होने का सम्भव आनन्द ! यह आशा तो और विशेष है।

   मिलते हैं ।आते हैं । शुभकामना।          📕📕📕📕📕📕📕📕📕📕📕📕

                 गंगेश गुंजन                                      #उचितवक्ताडेस्क।

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