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राजनीति आज : लोक-बुद्धि में
🌗
रात और दिन की ठनी रह गई
सब दिन टक्कर
रही दोनों की दोनों ही से हैसियत
बढ़कर
रोज़ रात दिन को ही धत्ता दे छा
जाती है
मज़ाक़ उड़ाता है दिन उसका हर
सुबह होकर। .
गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क। २१ जुलाई,२०२३.
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