लज्जा !
बनें शर्मिंन्दगियाँ सुनामी सागर तो बात भी बाढ़ तो आती-जाती ही रहती है गाहे ब- गाहे।
गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment