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हवा है आग और पानी है
रौशनी मिट्टी ज़िन्दगानी है।
इश्क़ भर क़ुदरत की दौलत जो
सभी के हक़ की कहानी है।
सफ़र की दास्ताँ तो ख़ूब रही
बिना इबारत मुंँहज़ुबानी है।
वो जो कह कर गया है उसको
बात वो मुझसे क्या बतानी है।
एक-एक कर के सभी दूर हुए
य' तनहाई अलग निभानी है।
लगे उसको क्या कह देने में
ज़िन्दगी तो आनी-जानी है।
आ गये फिर उसकी बातों में
सियासत में, यह नादानी है।
अभी कुछ रोज़ रह जाते गुंजन
बात तो अस्ल अब बतानी है।
!🌼!
गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
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