ग़ज़लनुमा
किसी को ग़म नहीं होता किसी का कभी इसका कभी धोखा उसका।
आप करते हैं वफ़ा की बातें इसी में तो जिगर जला उसका।
एक सी है नहीं सबकी तक़दीर कहीं सीधा नसीब, उल्टा उसका
फेर ली है निगाह अपनों ने मिरा नहीं तो क्यूं क़सूर उसका।
बुलाता मैं जिसे सदा देता नाम लव पर नहीं आया उसका
जानते भी कम बस्ती के लोग अब ज़माना भी कहां गुंजन का।
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गंगेश गुंजन
# उचितवक्ता डेस्क
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