सृष्टि की समस्त विधाओं में नवाब कविता,आम आदमी के दु:ख दर्द को सबसे पहले,सबसे अधिक समझती और महसूस करती है। सब से पहले विचार होने तक कहती भी है।
यह विरोधाभास-सा लगता है लेकिन यथार्थ है। गंगेश गुंजन
# उचितवक्ता डेस्क।
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