Tuesday, February 18, 2020

कभी-कभी

                 कभी-कभी

कभी-कभी हम दोनों किसी रेस्तरां में खाने-वाने चले गये तो वहां प्रेम से एक साथ खाते-बतियाते जवान जोड़ियों को देख कर भी बहुत आनन्द होता है।बल्कि मन ही मन उनके लिए और आशीर्वाद आता है। लेकिन ऐसे में ही कहीं जो किन्हीं अकेले बृद्ध जोड़े पर नज़र पड़ जाती है तो मन में उनके लिए अथाह करुणा भी हो आने लगती है।

       मैंने एक दिन यह बात पत्नी से जो कही तो पलट कर बोलीं-'और हमलोगों को देख कर उन्हें ? हम दोनों पर भी उनको दया आती होगी। ऐसे ही।' कह कर वह मुस्कुराना नहीं भूलीं।

       आपको क्या लगता है?

                      😊!😊

                   -गंगेश गुंजन

No comments:

Post a Comment