Sunday, December 8, 2024

'चाँद निकलेगा मगर हम न उधर देखेंगे '

🌜   ‘चांँद निकलेगा मगर हम ना उधर देखेंगे’

हमारे ज़माने के फिल्मी गाने भी कमाल के होते थे।एक गाना बहुत चला था ‘चांँद निकलेगा मगर हम न उधर देखेंगे।’
जहाँ तक ध्यान है फ़िल्म में बहुत अच्छी मीना कुमारी टाइप अभिनेत्री ने गाया था। उस वक्त फिल्म में ऐसे रूठे हुए दर्दीले गाने नायक और नायक दोनों ही गाया करते थे। कभी तो बम्बई और दिल्ली में एक साथ और कभी अकेले-अकेले। 
यह तब का अपने आप में एक लोकप्रिय तकनीकी हुनर था।
लेकिन यह गीत ‘चांँद निकलेगा मगर हम न  उधर देखेंगे’ जो गाया गया था उसके अंजाम भी अजीबो ग़रीब आते रहते थे अखबार से लेकर दिलदार महफ़िलों के शगूफ़ों तक पर चढ़ के… मेरे ही सहपाठी,साथियों के साथ कुछ कुछ ऐसा गुजरात कि याद करके आज भी दिल भर आता है।
तो उस वक़्त भी और आज तक ‘चांँद’ का तो खैर कुछ नहीं बिगड़ा लेकिन चाँद को नहीं देखने वाले की जिद ने उनको कहीं का नहीं छोड़ा। कुछ एक जो बच निकले पता नहीं वह क्या होकर किस तरफ़ निकले।क़िस्मत से कुछ और भी बच गये हों तो प्रभु ही जानें आजकल किस हाल में हैं...                                   🌛
                   गंगेश गुंजन 
               #उचितवक्ताडेस्क।

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