Tuesday, December 3, 2024

'शब्दकोश : अभी बचा है एक चरित्र धान !

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               ‘शब्दकोश : अभी बचा है एक चरित्रवान!'
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एक मात्र शब्दकोष अब समाज में यथार्थ बचा है। वह निष्पक्ष,तटस्थ,प्रकृतिस्थ बच गया है जो गहरे विशाल समुद्र के समान शान्त रहता है।पूछिए तो ही उचित बतलाता है। उसके हृदयांगन में आदरपूर्वक क़रीने से अपने आधिकारिक क्रम से सभी गुण,सभी भाव, धर्म,समस्त विचार के उदात्त और अवदात्त शब्द समान आसन पर बैठे रहते हैं। सत्य और झूठ अपने स्थान पर कायम हैं। तथाकथित सामाजिक सभ्य-असभ्य,श्लील-अश्लील शब्द अपनी बारी में समान अधिकार से उपस्थित रहते हैं।किसी से किसी को घृणा नहीं द्वेष या वैर नहीं। दुराव छुपाव नहीं। राग द्वेष सब समान। आप इसी से सोचें कि राग-द्वेष शब्द विधिवत् होने के बाववजूद यहाँ कोई आपसी वैमनस्य नहीं है। एक व्यवस्था है। सबको मान्य है। जाने कब से सक्रिय शान्त चलती जा रही है।स्टेशनों पर रेल गाड़ी में चढ़ते-उतरते यात्रियों की तरह ही नये शब्द चढ़ते रहते हैं।अपनी अपनी सीट पर इत्मीनान से बैठ जाते हैं।
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                  गंगेश गुंजन 
               #उचितक्ताडेस्क।

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