🌖 समाज में कोई तीसरा नव यथार्थ
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अच्छे-अच्छे लोग भी इस परिस्थिति को समझ नहीं पा रहे हैं या अपनी पूर्वग्रही अकड़ में आँखें बन्द किए हुए हैं ? जन जीवन असमानता की एक नयी तबाही की जटिल दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है ।
आज के लोकतंत्र को नया पाठ तो
दरकार नहीं ?
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गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क। १८.०४.'२२.
Tuesday, December 10, 2024
समाज में एक तीसरा नव यथार्थ !
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