Sunday, November 18, 2018

जो भी लिखना दिखकर लिखना

जो भी लिखना दिखकर लिखना
🌻
भूले से मत छुपकर लिखना
जो भी लिखना दिखकर लिखना
🌻
नहीं जरूरत तो चुप  रहना
काम पड़े तो ज़ोर चीख़ना ।
🌻
रहने लायक रहे तो अच्छा
नहीं मिले तो कभी न रहना।
🌻
कितना कुछ सह गये उम्र भर
अब लेकिन कुछ भी मत सहना
🌻
मुश्किल क्या कि दरिया हो ही
ख़्वाब और ख़़याल में बहना
🌻
तुम तो हो मज़बूत इमारत
बालू के घर-सा मत ढहना।
🌻
संदेशा कहने में उसको
हकलाना मत खुलकर कहना।
               🌻🌻         
                      गंगेश गुंजन,
                  १८नवंबर,’१८.

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