🍂🍂 🍂🍂🍂 🍂 🍂 🍂 🍂 ‘मिरे भी हाथ से एक जाम गिर के टूटा था आज तक दिल में कोई कांच चुभती रहती है।’ 🍁 🍁 गंगेश गुंजन
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