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...इन दिनों ऐसा क्यों आभास हो रहा कि बच्चे सभी गोदी के ही हैं। सब के सब इस या उस गोदी के ही बच्चे लगते हैं।अपने पाँवों पर खड़े होकर चलता हुआ शायद ही कोई बच्चा दिखाई दे रहा है।
लेकिन तब ग़नीमत है कि समाज अब भी ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ विचारवान लोगों से बिल्कुल रिक्त नहीं हो गया है।
।💥। गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
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