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सुख की कुछ मत पूछा कर
दु:ख भर मुझसे साझा कर।
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पूरा जाम मुझे मत दे
इसमें आधा-आधा कर।
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क्यों चाहे दिल तू मुझ से
पागल प्रेम ज़ियादा कर।
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राजनीति से बढ़-चढ़ कर
ज़ेहन कहे तमाशा कर।
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एक पराजय से बैठा
जय के पीछे भागा कर।
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है तो दे माँगे उसको
लेकिन तू मत माँगा कर।
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सोये हैं थक कर बाबा
नागा अब तू जागा कर।
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गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क।
Friday, April 12, 2024
ग़ज़ल नुमा : सुख की कुछ मत पूछा कर
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