Saturday, January 6, 2024

कुछ भर मेरे मन में था : ग़ज़लनुमा

                     •
     कुछ  भर  मेरे मन में था
     बाक़ी  सब  दर्पण में था।

     मेरा मैं  तब  सुन्दर  था
     वो जब कभी नमन में था।

     चलते-फिरते कहाँ मिला
     जो एकान्त मगन में था।

     उसका ही था कॉपी राइट
     पहले मिरे छुअन में था।

     सुख का अपना होगा स्वाद
     दु:ख भी किसी सहन में था।

     नया - वया सब भ्रम ही है
     जो था प्रथम मिलन में था।

     अरुणिम अधर क्षितिज पर जो
     उषा-मृदुल चुम्बन में था।
                        ।📕।
                    गंगेश गुंजन                                     #उचितवक्ताडेस्क।

No comments:

Post a Comment