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तीखा पानी पीया है
तब यह मीठा गाया है।
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ऐसे तो मैं चुप ही था
छेड़ा तब बतलाया है।
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रिश्ता ही क्या मौसम से
सब ने मुझे सताया है।
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नाटक ख़ूब सियासी है
इक दूजे को छकाया है।
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पर तू है रब कितना ख़ूब
मेरा दोस्त बनाया है।
।•। गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क।
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