Friday, August 4, 2023

ग़ज़लनुमा : हम न रहेंगे तुम न रहोगे...

                     💥💥

हम न रहेंगे तुम भी नहीं जब वो भी नहीं रहेगा
सुन्दर ऋतुओंके हुलास पर चर्चे कौन करेगा।

कोई तो हो फ़िक्र करे इस झुलस रही फुलवाड़ी की
लोटे भर जल से भी इसको कौन आकर सींचेगा।                       

महिमा दलित स्त्री क्षत-विक्षत पर सब चुप रह जाएँगे 
पत्थर दिल नर-पशु-सभ्यों से कौन आकर पूछेगा।

हिंस्र हो चुकी इन्सानी तहज़ीब जानवर से बदतर
किस जादूगर रहवर का है इन्तज़ार जो बदलेगा।

अच्छा कुछ ही बाकी है अब यहाँ जहांँ रहते हैं हम
उसके जाने से तो ये इतना भी कहाँ बचेगा।

झुंँझलाएगा क्रोधित होगा तब ऐसी दुनिया पर कौन
लाल नील सपनों वाले मन की दुनिया कौन लाएगा।

जाते हो तो जा लो गुंजन मन बहलाने को कुछ दिन
टहल-बूल कर जल्दी लौट आओ तो ठीक रहेगा।

❄️❄️❄️❄️❄️❄️❄️❄️❄️❄️❄️❄️
               गंगेश गुंजन                                    #उचितवक्ताडेस्क।
              २६जुलाई,'२३ 

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