|| स्वतंत्रता और कविता ||
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परतंत्र भाषा की भी अच्छी
कविता स्वाधीन होती है। स्वतंत्र
भाषा की सही कविता तो चेतना
की स्वाधीनता का भावी स्वरूप
ही होती है।
एक मात्र कविता में ही प्रायः
मनुष्य का यह कला-सौष्ठव
निरन्तरता से प्रतिष्ठित रहता है।
जयहिन्द !
#उचितवक्ताडेस्क।
गंगेश गुंजन
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