🌳 ग़ज़ल सन
के बताह आ के घताह अछि। ई घताह अछि ओ बताह अछि।
अनशनकारी धरनाधारी वा ई सरकारे बताह अछि।
मांगहि कृषकक छनि अनर्गल। कि सरकारक रुखि चोटाह अछि।
न्यायिक असमंजसता मे सब वातावरण भेल अथाह अछि।
देशहिं नहिं भरि विश्वे पसरल मीडियाक मति दुखताह अछि।
एना एतेक दिन धरना भरना। दोष जकर हो से घवाह अछि।
जो जितला बलु हारथि ट्रंपे किछु त लोकतंत्र दोखाह अछि।
भरि संसारक सबहि युद्ध मे होइत तं जनते तबाह अछि।
कहिया न अयल न'व चेतना लोक बुद्धि एखनो अबाह अछि।
जेहन मीठ बजारक बोली दाम तेहन सबहक कटाह अछि।
गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।
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