Monday, October 19, 2020

किसी कविता को यहां से देखना चाहिए।

कोई कविता अपने शब्द-सौंदर्य,जुमलों और रूपाकार भर से ही नहीं हो जाती। अपने आशय और अंतर्वस्तु के कारण होती है। आप सोचें पांच हज़ार बोरियां बालू कोई एक कोठरी तक नहीं बन सकतीं लेकिन पांच हज़ार ईंटें एक घर बन जाती है।      कविता को यहां से देखना चाहिए,ऐसे। 

                        गंगेश गुंजन।

                  #उचितवक्ताडेस्क।

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