ग़ज़ल
🌞 🌿
दर्द का रिश्ता गहरा है
दुःख का इस पर पहरा है
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धोखा साँप की आँखों का
सुन्दर बड़ा सुनहरा है
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देते हो आवाज़ किसे
छाछठ साल का बहरा है
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जीवन का भी पाठ अजब
सबसे कठिन ककहरा है
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वो क्यूँकर अब आएगा
संसद में जा ठहरा है
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ताप बहुत है मौसम में
टिन की छत का कमरा है।
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गंगेश गुंजन
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