स्मृति विहीन मनुष्य का बुढ़ापा सुदूर रेगिस्तान में अकेले चलने जैसा है।
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गंगेश गुंजन,
#उचितवक्ताडे.
🕸️🌈🕸️ उनके कौशल !
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सत्ता के सभी शत्रु मार दिए जाने लायक़ ही नहीं होते। शासन की समझ और दृष्टि बहुत पैनी होती है।उसे ज्यादा मालूम है कि किस विरोध की सिर्फ़ एक टांँग तोड़ देने पर, किसकी एक आंँख भर फोड़ देने से या किसके कान बन्द कर देने पर ही अथवा सी बी आई जुमला भर उछाल देने से भू लुंठित हो जाएगा और दिमाग़ी तौर पर व्यवस्थित रूप में मर जाएगा और सरकारी समारोहों का ताली वादक कलाकार हो जाएगा।
💢 गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क.