Wednesday, May 1, 2019

मज़दूर दिवस

            मज़दूर दिवस
                  🌺
एक घूंट  प्यास का चुकाया है दाम
उम्र भर  बेच  बाप-दादा  का  नाम ।

औसत  सुख  के लिए बहाये हैं ख़ून
रोटी की वजह किए जल्लादी काम।

हम भी चल-चल के थके हारे  बहुत
हमको भी चाहिए था दो पल विश्राम।

कौन  सुने  कौन छुए अपने ये  घाव
जो इस जीवन ने दिए हमें ठाम-ठाम।

ज़ंजीरी   सभ्यता  के  थे  वे   मोहरे
और मैं बना रहा था  एक रहे आम।                
                🌻
          गंगेश गुंजन.

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