Tuesday, May 30, 2023

ग़ज़लनुमा : वो ही सब दुहराना था

                  ग़ज़लनुमा 

वो  ही  सब दुहराना था

महज़ इसलिए आना था।

उन ही गुलदस्तों में फिर 

बासी फूल  सजाना था।

हाँफ रहा था क़िस्सा एक 

इक आग़ाज़ फ़साना था।

क्या जादू था वक़्ते सफ़र

किसकी अता ख़ज़ाना था।

था क़ुसूर किसका,किस पर 

आयद सब जुर्माना था।

उस दिन झूठ थका,हारा

उसका ख़त्म बहाना था।

राजनीति क्यूँकर लाजिम

जनता को फुसलाना था।

एजेंडा - एजेंडा सब 

बाक़ी अब भरमाना था।

उड़ती रेतों में वो कौन 

फूलों का दीवाना था।

              गंगेश गुंजन                                     #उचितवक्ताडेस्क।

Saturday, May 27, 2023

ग़ज़लनुमा : कल की सोचेंगे अब कल

   कल  की अब सोचेंगे कल

  हो सियासत में भले हलचल।


  सब की साँसें अटकी हैं

  नेता कौन आये अव्वल।


  कुर्सी  कौन  सम्भाले है

  कौन करेगा इसे दख़ल।


  बेचारी जनता को आस 

  सबदल की जो चली पहल।


  घी से हैं बाज़ार भरे

  बँटते हैं सस्ते कंबल।


  आर पार का हल्ला है 

  रखियो साथी क़दम सम्भल।


  फुनगी पर बैठे चिंतक 

  ठूँठ पेड़ में गिनते फल।

             गंगेश गुंजन                                       #उचितवक्ताडेस्क।

Saturday, May 20, 2023

ग़ज़लनुमा: जिसकी भी तैयारी है...

💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥

जिनकी भी  तैयारी है                      अबकी हमरी बारी है।

बहुत बने है चतुर सुजान                        होनी हार क़रारी है।

सच कहिए तो सब अपना                    ख़ुद मज़दूर दिहारी है।

देशी मसले लगते  दो                        महन्थ और बुख़ारी है।

ऊँचा ही सुनता है न्याय              पच्चीस,तीस हज़ारी है।

इतना ऊँचा गया मगर                      जनता की हक़मारी है।

सकते में दक्षिण,पूरब                          आगे एक बिहारी है ।

सोती नहीं कोई बस्ती                     रतजग्गा  बीमारी  है।

दो धारी हों वार भले                          हमरी भी तैयारी  है।

सकते में दक्षिण,पूरब                          आगे एक बिहारी है ।

कौन वाम है दक्षिण कौन                  दुविधा ये दोधारी है।

सोच समझ का जंगल मुल्क              कोमल प्राण शिकारी है।

💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥

   गंगेश गुंजन                                          #उचितवक्ताडेस्क।                                   २१ मई,२०२३.

Tuesday, May 16, 2023

सबसे अच्छा याद का मौसम ?

🌨️🌨️।              मौसम              ।🌨️🌨️


        सबसे अच्छा याद का मौसम

        उसके बाद बाद का मौसम।


        ज़रा नहीं पछताबा हो ग़म

        पाकर खो जाने का मौसम।


        पंछी पर्वत नदी देश की 

        तारीख़े आज़ाद का मौसम।


        माटी पानी हवा में  सबकुछ 

        मेरे गांँव, फ़सल का मौसम।


        आँगन में बरसात झमाझम                    काग़ज़ क़लम दवात का मौसम।


        ज़रा ज़रा सी बात में अनबन

        बिना शर्त इक़रार का मौसम।


        कैसा ख़ौफ़नाक़ कुल मंज़र

        दो साले संसार का मौसम।

        

        दिल आख़िर कहता है लेकिन

        इक उसके आने का मौसम।   


        लेकिन मौसम दो ही मौसम

        मिलने न मिलने का मौसम।


        हो जो हासिल हर सू सब को 

        अहले  आज़ादी  का मौसम।

                         🍀

                    गंगेश गुंजन                                    #उचितवक्ताडेस्क।                                    (पुनः प्रेषित)

Thursday, May 4, 2023

कालगति और लोग

कुछ लोग कहते-कहते मर जाते हैं।

कुछ लोग सुनते-सुनते मर जाते हैं।

कुछ लोग करते-करते मर जाते हैं।

कुछ लोग  रहते-रहते  मर जाते हैं।

कुछ लोग सहते-सहते मर जाते हैं।


ये सब समाज और मनुष्यमात्र की जीवन- दशा बदलने की नीयत और विचार से संकल्प स्वर में भाषा-साहित्यों में ही अधिक होते हैं।

आज भी दिन भर कुछ लोग                                     पढ़ते-पढ़ते सो जाएंँगे ।      अपने-अपने इतिहास का गह्वर हो जाएँगे।

                ५ मई,२०२३.                               गंगेश गुंजन #उचितवक्ताडेस्क।