हुनर जीने का उसको आ गया है क़सीदा ख़ूबसूरत लिख के-पढ़ के। गंगेश गुंजन
Friday, November 29, 2019
Wednesday, November 20, 2019
आंसू से याराना करके
Tuesday, November 19, 2019
दोस्त राजा भ' गेल नगरक
बनि गेल दोस्त राजा आब अपने एहि नगरक। ऐ शहर सं हमहूँ कतहु दूरे जा क' रहितौं। 🌀
गंगेश गुंजन
Sunday, November 17, 2019
चिट्ठीक आंजन
ओना नोछरि क' जाय लगलौ त डेन कियेक ने धेलें । आंखि मे आब लगा रहल छें ओकरे चिट्ठीक आंजन।
गंगेश गुंजन
Saturday, November 16, 2019
सुख तो हुआ शजर !
* मायूस शजर * बहुत मायूस हो रहा है शजर सूखता हुआ अपने लिए नहीं घोंसलों और परिंदों केलिए । गंगेश गुंजन।
Tuesday, November 12, 2019
दोहराने लगा है।
हम अपने ग़म भुलाने में लगे हैं।
और वो दास्तां दोहरा रहा है।
गंगेश गुंजन। उचितवक्ता डेस्क।
Sunday, November 10, 2019
टूटी-फूटी ज़िन्दगी से शिकायत।
इस तरह टूटी फूटी रहकर
क्यों सताती रहती है मुझको।
ऐ मेरी ज़िन्दगी !
एकेक सांस किराया देकर
रहता हूं मैं तुझमें।कोई मुफ़्त में नहीं।
Saturday, November 9, 2019
सांसों का किराया देकर...
सांसों का किराया चुका कर रहते हैं हम इसमें।
ज़िन्दगी सृष्टि ने दी तुम्हारा एहसान क्या ख़ुदा।
गंगेश गुंजन।(उचितवक्ता डेस्क)
Thursday, November 7, 2019
....बाज़ार गया बेचने ज़मीर
आख़ीर मैं बाज़ार गया बेचने ज़मीर।
यह माल पुराना कोई खरीदता नहीं।
गंगेश गुंजन।
Wednesday, November 6, 2019
Monday, November 4, 2019
फूलों का डर !
पतझड़ से उतना डर नहीं लगता फूलों को।
उत्सव,बुके,नेता,माला से रहते हैं तबाह।
💐💐
गंगेश गुंजन।(उचितवक्ता डेस्क)
Sunday, November 3, 2019
बाक़ी उम्मीद है !
कोई बचा है देखता-सुनता-समझता है।
ख़त्म हो गई नहीं हैं अभी सब उम्मीदें।
🌺🌺
गंगेश गुंजन (उचितवक्ता डेस्क)
Saturday, November 2, 2019
...अपना हंसना भी रोते रहते हैं
आने-जाने को लेकर पल-पल को इतना क्यों गिनते हैं।
कुछ बुजुर्ग तो हद हैं अपना हंसना भी रोते रहते हैं।
गंगेश गुंजन।(उचितवक्ता डेस्क)