Monday, March 18, 2024

कुछ अच्छे और आवश्यक कवि !

📔।        अच्छे और आवश्यक कवि !

   कुछ बहुत अच्छे और आवश्यक कवि भी अब निजी आक्रोश और प्रतिशोध की कविताएंँ लिखने और मज़े लेते हुए लगते हैं।
आख़िर ये इस पर क्यों उतर आये हैं ?         
                 गंगेश गुंजन                                     #उचितवक्ताडेस्क।

Sunday, March 17, 2024

ख़ुद्दारी

ख़ुद्दार इन्सान का कोई भगवान भी
नहीं होता है।
                      •
              गंगेश गुंजन                                   #उचितवक्ताडेस्क।

Thursday, March 14, 2024

ग़ज़लनुमा : गिना चुना अफ़साना लिख

📔
    गिना चुना अफ़साना लिख
    जो भी लिख पैमाना लिख।

    हो जिसका लिखना खेला
    तू साहित्य निभाना लिख।

    शम्मा पर कहने में शे-ए-र
    पागल इक परवाना दिख।

    जीवन की लिख रहा किताब
    सफ़ा सफ़ा वीराना लिख।
                        
    भटकी हुई सियासत को
    जन-मन से बेगाना लिख।

    सेठों को लिख मस्ताना
    शायर को दीवाना लिख।

    लोगों ने ठुकराया है
    तू लेकिन अपनाना लिख।

    यह धुंधला मैला तो है
    कल का समय सुहाना लिख।

     गु़रबत लिख हथियारे जंग
     कल को नया ज़माना लिख।                                       । 📔।                                           गंगेश गुंजन                                          रचना:                                          १२/१३मार्च,२०२४.

                 #उचितवक्ताडेस्क।

Monday, March 11, 2024

एक दो पँतिया

एक जुगनू दिखा अमावस की आधी रात

हुआ एहसास उम्रकै़द में सच ज़िन्दा है।

              गंगेश गुंजन                                  #उचितवक्ताडेस्क।

Wednesday, March 6, 2024

काल काल के कवि !

📔          काल-काल के कवि !
                            •
  हम उस काल के रचनाकार हैं जब हमारा कवि होना पाठक, श्रोता समाज तय करता था। हमें ख़ुद को कवि साबित नहीं करना पड़ता था। कवि होने का कोई प्रबन्ध नहीं करना पड़ता था। वह कार्य हमारी रचना करती थी। सम्पादक समाज ही हमें कवि-लेखक की यथोचित मान्यता और स्वीकृति दे कर महिमा से मंडित करता था।मान्यता के लिए अनियंत्रित उतावलापन नहीं था। किसी किसी भी यश या मान्यता के याचक शायद ही होते थे।
  आजकल समाज की यह भूमिका भी स्वयं कवि ने ही उठा रक्खी है। फेसबुक समेत तमाम डिजिटल सामाजिक माध्यम के अभिमंच की बहती गंगा ने इसे और भी सरल सुलभ कर दिया है।सम्प्रति रचनाकार स्वयं सिद्ध हो रहे हैं।
  अधिकतर कवि अपने आभामंडल स्वयं निर्मित करते रहते हैं।                                                      📒                                               गंगेश गुंजन                                    उचितवक्ताडेस्क।

एक दू पँतिया

बहुत उदास भी मौसम में फूल खिलते हैं
नहीं मिली ज़मीं तो आसमां से मिलते हैं।
                      🕊️
                गंगेश गुंजन।                                 #उचितवक्ताडेस्क।६.३.'२४.

Tuesday, March 5, 2024

असली नक़ली प्रगतिशीलता

क्षेत्र कोई भी हो,लिखी,पढ़ी और फेसबुक पर समझी जा रही सारी प्रगतिशीलता असली नहीं। इनमें ज्य़ादा तो नक़ली हैं।                               •                                                   गंगेश गुंजन                                     #उचितवक्ताडेस्क।