Sunday, November 18, 2018

जो भी लिखना दिखकर लिखना

जो भी लिखना दिखकर लिखना
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भूले से मत छुपकर लिखना
जो भी लिखना दिखकर लिखना
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नहीं जरूरत तो चुप  रहना
काम पड़े तो ज़ोर चीख़ना ।
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रहने लायक रहे तो अच्छा
नहीं मिले तो कभी न रहना।
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कितना कुछ सह गये उम्र भर
अब लेकिन कुछ भी मत सहना
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मुश्किल क्या कि दरिया हो ही
ख़्वाब और ख़़याल में बहना
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तुम तो हो मज़बूत इमारत
बालू के घर-सा मत ढहना।
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संदेशा कहने में उसको
हकलाना मत खुलकर कहना।
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                      गंगेश गुंजन,
                  १८नवंबर,’१८.

कांच

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‘मिरे भी हाथ से एक जाम गिर के टूटा था
आज तक दिल में कोई कांच चुभती रहती है।’
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गंगेश गुंजन

Tuesday, November 13, 2018

थाली में 🌒

🌒
चांद थाली में दिखाकर हमें बहलाते हैं।
हमारी संसद के हमारे ये माई-बाप !
!
-गंगेश गुंजन

Wednesday, November 7, 2018

दीये की आयु

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एक दीया तब तक जलता है जब तक उसे तेल और बाती का साथ रहता है।  दोनों में से किसी एक के चुक जाने से उस दीये का भी अस्तित्व नहीं रहता।
दीये की आयु उसमें तेल और बाती के बराबर है।

-गंगेश गुंजन।७.११.’१८.

Saturday, November 3, 2018

राजनीतिक वक्तव्य एक निवेश ।

राजनीतिक वक्तव्य: एक निवेश की तरह !
*
राजनीतिक वक्तव्य एक निवेश की तरह होते हैं।जैसे सावधि जमा खाता होता है,एक प्रकार का वित्तीय निवेश । फ़िक्स्ड डिपाजिट।जमाकर्ता को जिस तरह पांच वर्ष की अवधि के जमा खाते में जमा (फ़िक्स्ड) राशि, उसे सूद समेत मिल जाती है। वैसे ही राजनीतिकों को भी लोकतंत्र के चुनावी 5 वर्षों के शांति काल में दिए गए पक्ष या विपक्ष के उनके वक्तव्य का मूल्य सभी सत्ता और सरकार के आने पर सूद समेत मिलता रहता है मिल जाता है। अलबत्ता जिसकी जितनी राशि का निवेश है यानी वक्तव्यों का निवेश है। जिस मूल्य के वक्तव्य का निवेश है उसी के अनुपात में नई सत्ता नई सरकार उनका भुगतान करती चलती है ।भुगतान का स्वरूप भले ही वित्तीय सुविधाओं से लेकर सम्मान प्रतिष्ठा और संस्थागत पदों पर अध्यक्ष, निदेशक इत्यादि पदों से सुशोभित करने के रूप में किया जाता है। अब लोकतंत्र के इतने स्वतंत्र स्वाधीन वर्षों में इसे यह देश जान गया है । साधारण जनता का जानना बाकी है। जिस दिन इसे जान गई...।

-गंगेश गुंजन।