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मन भेल जे कही ...
भावुक लोक कें पहिने स्वविवेक तैयार करबे व्यावहारिक बात होइछ। तकरा बादे सामाजिक मंच पर किछु कहबाक विचार करब उचित बुझाइत छैक।
कोनो नेनाक बाललीला ककरा प्रिय नहिं लगतैक।किन्तु तहिना कोनो वयस्क लोकक नेनपन अनसोहाँत आ अप्रिय बुझाइत छैक। एत' धरि जे भाषाक स्वाभिमान पर्यंत यदि कोनो प्रौढ़ व्यक्ति अधबोलिया बाजय लागथि तँ असहज लगैत छैक।
दोसर उदाहरण मैथिली फेसबुक पर बेसी देखाइ पड़त आइ-कालि।
।🌼। गंगेश गुंजन
#उचितवक्ताडेस्क।