Sunday, May 19, 2019

चुनाव वार्त्ता : चुनाव परिणाम।

चुनाव वार्त्ता : चुनाव परिणाम ।
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ई तं आर अजगुत। आब आइ एक टा मैथिल युवक फोन कयलनि जे कका जी,अहीं कनी पप्पा के बुझबिअनु। ई समस्या ठाढ़ क’देलनिहें। हमरा सब बड़ मोश्किल मे छी!’
ऐ बयसक पप्पा-कका लेल किछु सुनला पर आइ काल्हि ड'रे भ' जाइत छैक। सबसं पहिने तं आने तरहक संदेह आ चिंता होअ लगैत छैक।पहिने जेना युवक बाल बच्चाक रहन-सहन चालि-चलन पर बाप-पित्ती के ध्यान राख’ पड़ै,आइ काल्हि तहिना बेटे-बेटी के अपन बाप-पित्तीक से सब ध्यान राख’ पड़ैत छैक। फूसि किए कहब, पहिने हमरो सैह भेल। ताहू पर शहर में तं आइ काल्हि ई वातावरण आओर व्याप्त छैक।पेंशन याफ्ता आदरणीया कतिपय बूढ़ी लोकनिक जीवन-शैली सेहो पुरुष-पात सं उन्नैस नहिं,बीसे भेटत। से किछु तेहन दुर्घटित तं नहि भ’ गेलनि ज्ञानू बाबू संग। इश्खी लोक तं पहिनहुं छलाह से तं बुझले अछि। ताहि पर सं बच्चाक माय सेहो पांच-छः बर्ष पहिने समाप्त भ’ गेलथिन। पुष्ट क' पेंशन भेटैत छनि। बेटा दिल्ली ल' अनलकनि। संयोग सं दिल्ली में तं आइ तारीख मे,कय टा भव्य सुव्यवस्थित मैथिल बस्ती सब विद्यापति पर्व सं गनगना रहलय। हिनक घर बुराड़ी तरफ़ कतहु छथि। घरडेरा मे जे गेलियनि तकर बाद नहि भेल संभव।फोन-वार्ता धरि निरंतर रहैये।
-कका जी,सुनि रहल छी ने ?'ओम्हर सं अगुतायल बोल कान मे पड़ल तं ध्यान भेल।
-हं हं,कहू ने। सुनि रहल छी। की भेल ? ज्ञानू बाबूक कोन समस्या कयलनि ?’
-देखयौ ने।पप्पे दुआरे मंटू-पिंटू दुनू भाइक उपनयन स्थिर कयलिअनिहें। जिद्द ठानि देलनि।-पोताक उपनयन करब-पोताक उपनयन करब कहि क’ अकच्छ क’ देलनि।हमरा छुट्टी नै। कोनो धरानी ब्यौंत कयल कारण दादाक मनोरथ !’
-तं समस्या की ? कोन बाधा ? आब तं तेरह जूने ने उपनयनक दिन यौ ।' हम कहलिअनि कि अगुता क’ ओ बीचहि मे कह’ लगलाह-
-सैह तं कहलौं कका।आब पप्पा कहैत छथि-हमर टिकट आगां बढ़ा क’ कटा दिया! आ गामक आरक्षण हयब सुसके छैक। टिकट लय मारामारी छैक। आब एतबा दिनक भीतर फेरो टिकट भेटतैक?
आब‌ अहीं कहू-दिने कतेक बांचल छैक? आ काज तं सबटा जाइए क’ कर’ पड़तै। बड़ुआ उद्योग सं ल' मड़बा बनयबा धरि। गाम में आब ख'ढ़ो हठात् भेटै छैक ? आ ज'न ? कय‌ गाम‌ घूम' पड़ि सकैत छैक। आब जं देरी हेतैक तं उपनयन शुभ-शुभ संपन्न भ' सकतैक? गछने रहथि जे हम अपने क’ लेब सब टा व्यौंत। पोता हमर अछि,मनोरथो हमरे थीक तं सब इंतिजामो हम अपने क’रब। लिआओनक पाहुन जकाँ चैन सं अबैत जाइ जायब कुमरम दिन अहाँ लोकनि! कनी रुष्टो भ’ गेलाह...
'सैह तँ पुछलौं जे बाधा की क’ रहल छथि ?' हम कनी खौंझाइते टोकलिअनि।
-आब कहैत छथि २३ तैस तारीखक बाद गाम जयताह। तखन एते व्यवस्थाक करबाक समय रहतै ? ककाजी अहीं एक रती कहियौन ने। हे लिय’! ओ हमरा फोनो धरा देलनि। किंचित खौंझायले हम पुछलिअनि-
-एना कियेक क'रहल छियै ज्ञानू बाबू ? किये ने जाय चाहै छियै?
तैस सं पहिने मृत्युयोग छैक वा भदवा-दिक्शूल ? आ सेहो आब ऐ युग मे के मानै छैक।’ हम बुझौलिअनि।
-‘कनी एलेक्शन रिजल्ट देखिये क’ जाएब।’ ओ निर्विकार भाव‌सं कहलनि।
‘ई तं विचित्रे‌ बात। पोताक उपनयन ठानि देलियैक सभटा काज पड़ल अछि आ अहाँ एलेक्शन रिजल्ट देखै लय टिकट कैंसिल करा रहल छी? सुनि क’ लोक हंसत। हम एकठ्ठे लोक निन्दा सं डरौलिअनि।
ओ निश्चिंत। सब भ’ जयतै।
-अच्छा छोड़ू। रिजल्ट गाममे नहि देखि सकैत छी? रेडियो-टीवी ओत’ कि कोनो नै छैक। गामे मे देखबचुनाव परिणाम।’ हम कहलिअनि।
-सोचलियै हमहूँ यौ। मुदा ककरा दलान पर जाक’ सुनब? दोसर जे गाम मे बिजली रहिते ने छैक। बहुत रिस्की भ’ जायत!’ चोटृहि कहलनि आ २३ तारीख क’ हमरो अपने कत’ आबि क’ एलेक्शन रिजल्ट देखबाक नोंत दैत,जान छोड़ायब जकाँ तइसे तारीख क’ भेंट होइए कहैत,प्रणाम करैत फोन राखि देलनि।
        आब एकर कोन जवाब ?
                      !🌺!
             (उचित वक्ता डेस्क)
                   गंगेश गुंजन 
                 २०.०५.२०१९.

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