सभी मानदण्ड चिनक गए हैं। साहित्य,कला से लेकर सामाजिकता, सभी के। विचार और निर्णय न्याय सभी के। कोई निकष साबूत नहीं। सभी मानदण्ड प्राय: फूटे-भंगे हैं। ऐसा यह कोई एक दिन में नहीं हो गया है। बहुत दिनों की सामाजिक व्यवहार की प्रक्रिया में ऐसा हुआ है। एक समय सभी मानदंडों की केंद्रीय सामर्थ्य,उनका मूल नैतिकता होती थी। वह नैतिकता इतनी सबल और दृढ़ थी कि छोड़े नहीं छूटती थी। तोड़े नहीं टूटती थी।
आज ?
-गंगेश गुंजन।
Monday, February 26, 2018
चिनके हुए निकष पर समय
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