ऊंची जगह पर खड़ा होकर
आदमी कभी अपने को बड़ा
देखना चाहता है तो हास्यास्पद
हो जाता है। वह और छोटा बन
जाता है,जैसे पहाड़ पर चढ़ कर
खड़ा लंबे कद का आदमी भी
धरती पर खड़े मनुष्य को बहुत
छोटा दिखाई देता है।
आदमी का असल क़द
धरती पर ही पता चलता है।
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(उचितवक्ता डेस्क)
गंगेश गुंजन
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