Friday, June 21, 2019

क्रयशक्ति के बाहर रिश्ते



चल तो जाती है किसी तरह से रोटी और दाल

मगर रिश्ते तो अब क्रयशक्ति के बाहर हैं मेरे।
-गंगेश गुंजन

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