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कलाकार या लेखक की किसी विशिष्ट कृति के बाद यदि उसका व्यक्तित्व किंचित विचलित ही हो जाय तो उस कारण उसके कृतिकार की समस्त देन का महत्व कम नहीं हो जाता।
बड़ा साहित्यकार आदमी भी बड़ा हो,यह तो आदर्श है।यद्यपि यह मेरी मान्यता है. परंतु यदि कोई कलाकार-साहित्यकार अपनी बड़ी कृति देकर बड़ा बना है तो उसमें मनुष्यता जन्य जीवन-मूल्य हुए किसी परिवर्तन (दुर्गुण रहने) के आधार पर उसे ख़ारिज नहीं किया जा सकता। हर कलाकार के लिए महान होना भी क्यों आवश्यक हो ?
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(उचितवक्ता डेस्क)
गंगेश गुंजन
Tuesday, June 25, 2019
साहित्यकार,कृतित्व और महानता काविचार
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